शर्त पर आपने हाथों में मेरे हाथ दिया,
शर्त के टूटने तक कायदे से साथ दिया।
निगाह टूट गई चांद तक आते जाते,
रात के सफर में जुगनू ने बड़ा साथ दिया।
कट गई उम्र यहां एक ख्वाब की खातिर,
आपने ख्वाब ही में उम्रभर को काट दिया।
आपने मंच से उस मंच की तारीफ कर दी,
भीड़ खामोश है किस आदमी का साथ दिया।
वो जो हँसने में दर्शन तलाश करते हैं,
पूछिए रोने पर कितनों ने उनका साथ दिया।
शर्त के टूटने तक कायदे से साथ दिया।
निगाह टूट गई चांद तक आते जाते,
रात के सफर में जुगनू ने बड़ा साथ दिया।
कट गई उम्र यहां एक ख्वाब की खातिर,
आपने ख्वाब ही में उम्रभर को काट दिया।
आपने मंच से उस मंच की तारीफ कर दी,
भीड़ खामोश है किस आदमी का साथ दिया।
वो जो हँसने में दर्शन तलाश करते हैं,
पूछिए रोने पर कितनों ने उनका साथ दिया।
3 टिप्पणियाँ:
राजेश जी आपकी ग़ज़लें बहुत ही बढ़िया है,जो शेर मुझे सबसे ज्यादा पसंद आया वो है..... "कट गई उम्र यहां एक ख्वाब की खातिर,
आपने ख्वाब ही में उम्रभर को काट दिया।"
राजेश जी आपकी ये ग़ज़ल कुछ कमज़ोर लगी मतले में साथ और हाथ का काफिया लिया जिसे आप बाकि के शेरों में सही से निभा नहीं पाए...साथ लफ्ज़ बहुत बार रीपीट हुआ है जो अच्छी ग़ज़ल के दृष्टिकोण से सही नहीं है...अगर मेरी बात बुरी लगी हो तो क्षमा करें...
नीरज
कट गई उम्र यहां एक ख्वाब की खातिर, आपने ख्वाब ही में उम्रभर को काट दिया।.....वाह.......राजेश जी वाह......बहुत बढ़िया...
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