हवाओ को घर का पता यूं बताना,
मुंडेरों पे जलता दिया छोड़ आना।
गीत-ओ-ग़ज़ल की जो लय ना बने तो,
पीड़ा की बंदिश पे शब्दों को गाना।
पुराने ताल्लुक में दम ना रहे तो,
रिश्तों की मण्डी में बोली लगाना।
मुंडेरों पे जलता दिया छोड़ आना।
गीत-ओ-ग़ज़ल की जो लय ना बने तो,
पीड़ा की बंदिश पे शब्दों को गाना।
पुराने ताल्लुक में दम ना रहे तो,
रिश्तों की मण्डी में बोली लगाना।
2 टिप्पणियाँ:
जब तक पांच शेर ना हो जाएँ ग़ज़ल पोस्ट ना करें...अधूरी ही सही लेकिन ग़ज़ल असरदार है...
नीरज
BHot Khub sir Phle Bhi Suni thi ye Nohar me sayad aapse hi suni ho ..pr jo bhi bht asardar hai janab..!!
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