फिर उनको देखा तो आंखें भरी हैं,
अभी तो पुरानी ही चोटें हरी हैं।
हमसे लफ्जों का बयान मुश्किल,
तेरा लब हिलाना ही शायरी है।
उसने कहा था कि बातें खत्म हैं,
जला दो ये जितनी किताबें धरी हैं।
किस्सा नहीं है ये इल्म-ओ-अदब,
कभी तुमने अपनी हकीकत पढ़ी है।
अभी तो पुरानी ही चोटें हरी हैं।
हमसे लफ्जों का बयान मुश्किल,
तेरा लब हिलाना ही शायरी है।
उसने कहा था कि बातें खत्म हैं,
जला दो ये जितनी किताबें धरी हैं।
किस्सा नहीं है ये इल्म-ओ-अदब,
कभी तुमने अपनी हकीकत पढ़ी है।
6 टिप्पणियाँ:
हमसे लफ्जों का बयान मुश्किल,
तेरा लब हिलाना ही शायरी है।
राजेशजी; आप तो छा गए इस शेर से. बहुत अच्छा लगा आपके ब्लॉग पर आकर. ढेर सारी शुभ-कामनाएं.
www.nareshnashaad.blogspot.com
फिर उनको देखा तो आंखें भरी हैं,
अभी तो पुरानी ही चोटें हरी हैं।
सुंदर अभिव्यक्ति ...
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http://gharkibaaten.blogspot.com
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तेरा लब हिलाना ही शायरी है
वाह क्या मिसरा है राजेश जी कमाल...बधाई
नीरज
usne kha tha baate khatam h
jla do ye jitni kitabe dhari hai......
bhut achha kha hai.......
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