फिर कोई कृष्ण सा ग्वाला हो,
फिर मीरां फिर प्याला हो।
फिर चिड़िया कोई खेत चुगे,
फिर नानक रखवाला हो।
फिर सधे पांव कोई घर छोड़ें,
फिर रस्ता गौतम वाला हो।
फिर मरियम की कोख भरे,
फिर सूली चढ़ने वाला हो।
हम घर छोड़ें या फूंक भी दें,
जब साथ कबीरा वाला हो।
फिर मीरां फिर प्याला हो।
फिर चिड़िया कोई खेत चुगे,
फिर नानक रखवाला हो।
फिर सधे पांव कोई घर छोड़ें,
फिर रस्ता गौतम वाला हो।
फिर मरियम की कोख भरे,
फिर सूली चढ़ने वाला हो।
हम घर छोड़ें या फूंक भी दें,
जब साथ कबीरा वाला हो।
3 टिप्पणियाँ:
राजेश जी, सही मायने में हमने तो आप जैसी कुछ 'हस्तियों' से पढना सीखा है. लिखना अभी सीखना है.
बहुत सधे हुए शब्द और विस्तृत नजरिया.
खूब ..
फिर मरियम की कोख भरे,
फिर सूली चढ़ने वाला हो।
राजेश भाई वाह...लाजवाब शेर है...दाद हाज़िर है...
नीरज
फिर चिड़िया कोई खेत चुगे,
फिर नानक रखवाला हो।....वाह.वाह.वाह... लाजवाब
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