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Wednesday, November 09, 2011

यूं ही तो नहीं होता, कुछ भी /राजेश चड्ढ़ा


यूं ही तो नहीं होता,

कुछ भी.

कोई ख़याल,

किसी वजह की,

कोख़ में ही,

लेता है जन्म.

होता है बड़ा,

काग़ज़ के,

आंगन में
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