बीज बोया है फसल काटेंगे,
दर्द बोया है ग़ज़ल काटेंगे।
आपकी उम्र बड़ी कीमती है,
जिंदगी सूद सी हम काटेंगे।
रोजा जब रोज की जरूरत हो,
ईद पर भूख मिलकर बांटेंगे।
आप उसूलों की बात करते हैं,
आप थूकेंगे आप चाटेंगे।
वो जो खुद भाषणों पर जीते हैं,
भीड़ में चुप्पियां ही बांटेंगे।
दर्द बोया है ग़ज़ल काटेंगे।
आपकी उम्र बड़ी कीमती है,
जिंदगी सूद सी हम काटेंगे।
रोजा जब रोज की जरूरत हो,
ईद पर भूख मिलकर बांटेंगे।
आप उसूलों की बात करते हैं,
आप थूकेंगे आप चाटेंगे।
वो जो खुद भाषणों पर जीते हैं,
भीड़ में चुप्पियां ही बांटेंगे।
2 टिप्पणियाँ:
रोजा जब रोज की जरूरत हो,
ईद पर भूख मिलकर बांटेंगे।
isse jyada kya...
आप उसूलों की बात करते हैं,
आप थूकेंगे आप चाटेंगे
करारा शेर है..बिलकुल अलग और असरदार...वाह...
नीरज
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