जिंदगी जितना तू चाहे मुझे परेशान करके देख,
घटा दे उम्र मेरी सुन, उसी के नाम करके देख।
गुनाह मैंने किया है, हां मोहब्बत करके देखी है,
जफा का जिक्र क्या करना वफा बदनाम करके देख।
मैं कब कहता हूं जख्मों की कोई मरहम बनाकर दे,
हादसे खुद तलाशेंगे मुझे बेनाम करके देख।
सहर जब होने को होती है मुझे तब नींद आती है,
मुझसे बात करनी हो, शाम मेरे नाम करके देख।
हंसते खेलते ये लोग तेरा गिरेबान क्यूँ थामें,
मेरे दुख जागते हों उस घड़ी आराम करके देख।
घटा दे उम्र मेरी सुन, उसी के नाम करके देख।
गुनाह मैंने किया है, हां मोहब्बत करके देखी है,
जफा का जिक्र क्या करना वफा बदनाम करके देख।
मैं कब कहता हूं जख्मों की कोई मरहम बनाकर दे,
हादसे खुद तलाशेंगे मुझे बेनाम करके देख।
सहर जब होने को होती है मुझे तब नींद आती है,
मुझसे बात करनी हो, शाम मेरे नाम करके देख।
हंसते खेलते ये लोग तेरा गिरेबान क्यूँ थामें,
मेरे दुख जागते हों उस घड़ी आराम करके देख।
1 टिप्पणियाँ:
सहर जब होने को होती है मुझे तब नींद आती है,
मुझसे बात करनी हो, शाम मेरे नाम करके देख।
बहुत खूब अच्छा लगा आपका ये शेर...वाह...
नीरज
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