मैं हूं ! अकबर इलाहबादी
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हंगामा है क्यूँ बरपा, थोड़ी सी जो पी ली है
डाका तो नहीं डाला, चोरी तो नहीं की है
-16 नवम्बर सन 1846 को जन्मे अकबर इलाहाबादी रूढ़िवादिता एवं धार्मिक ढोंग क...
6 years ago
10 टिप्पणियाँ:
बहुत खूबसूरत ...अति सुंदर ....मेरे कान्हा का एक रंग यहाँ भी आया .....शब्द के सूत को सुर की तकली पर कातना....अच्छा लगा ....
सूर के वात्सल्य और कबीर के रहस्यवाद का अनोखा और दुर्लभ योग आपने कर दिखाया वर्णन योग्य शब्द मेरे कोष में नही है*
ਕੀ ਆਖਾਂ ਤੇ ਕੀ ਛੱਡਾਂ ਬੋਲਾਂ ਲਈ ਤੁਸੀਂ ਕੁਝ ਛਾਡ੍ਯਾ ਹੀ ਨਹੀੰ !
कैवण अर सुणण आली तो काईं कोणी छोड़ी; सिर्फ काळजे रे मायीं मसूस ही कर सकां हाँ !!
نہ تو کچھ بولنے کو اور نہ ہی کچھ سنانے کے ؛لئے اپنے کچھ باقی چھوڑا ہے !
خیر مقدم
BEYOND IMAGINATION ONLY FEELINGS
अंजू जी...कान्हा सब का है या यूं कहें सब कान्हा का ही तो है...
आपको अच्छा लगा..धन्यवाद
अशोक जी आभार...आप तो स्वयं शब्द-शिल्पी हैं...मर्म तक पहुंच जाते हैं.....कृष्ण का पूर्ण पुरुष का होना और मीरां का समर्पण.. स्वयं शब्दातीत है....आऊटस्पोकन....शुक्रिया आपका
dwarka aala nath,eeya hi rakhi sir par hath.
2011 ki nai post ka besabri se intejar kar rahen hain...
2012 ki nai post ka besabri se intejar kar rahen hain..
plz add new poem for us.we are waiting for it.
राधा के बिना श्याम आधा ...
rajesh chadha jee ki ghazal youtube par...http://youtu.be/rfA88WcfZzA
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