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Saturday, July 14, 2012

दी मैडमैन : खलील जिब्रान


'मैडमैन' खलील जिब्रान की प्रतीक कथाएं हैं। उसने एक पागल आदमी के ज़रिये कहलवायी हैं। यह पागल एक रहस्‍यदर्शी फकीर है और वह दुनियां की नजरों में पागल है। दूसरी तरफ से देखा जाये तो वह वास्‍तव में समझदार है क्‍योंकि उसकी आँख खुल गई है। इस छोटी सी किताब में कुछ 34 प्रतीक कथाएं है।

शुरुआत पागल की बात से होती है। वह कहता है-
"तुम मुझे पूछते हो मैं कैसे पागल हुआ। वह ऐसे हुआ-
एक दिन बहुत से देवताओं के जन्‍मनें के पहले मैं गहरी नींद से जागा और मैंने पाया कि मेरे मुखौटे चोरी हो गये है।
वे सात मुखौटे जिन्‍हें मैंने सात जन्‍मों से गढ़ा और पहना था।
मैं भीड़ भरे रास्‍तों पर यह चिल्‍लाता दौड़ा, चोर-चोर....स्‍त्री-पुरूषों ने मेरी हंसी उड़ाई। उनमें से कुछ डर कर अपने घर में छुप गये। और जब मैं बाजार मैं पहुंचा तो छत पर खड़ा एक युवक चिल्‍लाया, ’यह आदमी पागल है।‘
उसे देखने के लिए मैंने अपना चेहरा ऊपर किया ओर सूरज ने मेरे नग्‍न चेहरे को पहली बार चूमा। और मेरी रूह सूरज के प्‍यार से प्रज्‍वलित हो उठी। अब मेरी मुखौटों की चाह गिर गई।
मदहोश सा मैं चिल्‍लाया, "धन्‍य है वे चोर जिन्‍होंने मेरे मुखौटे चुराये"
इस प्रकार मैं पागल हुआ।
और अपने पागलपन में मुझे सुरक्षा और आज़ादी, दोनों मिलीं। अकेलेपन की आज़ादी, और कोई मुझे समझे इससे सुरक्षा। क्‍योंकि जो हमें समझते है वह हमारे भीतर किसी तत्‍व को कैद कर लेते है।
लेकिन में अपनी सुरक्षा पर बहुत नाज़ नहीं करना चाहता। कैद खाने में एक चोर भी तो दूसरे से सुरक्षित होता है।

1 टिप्पणियाँ:

Harish Harry said...

Khalil zibran ki 100 kahaniyan namk kitab padhi thi jo bahut badhiya lagi.

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