मैं हूं ! अकबर इलाहबादी
-
हंगामा है क्यूँ बरपा, थोड़ी सी जो पी ली है
डाका तो नहीं डाला, चोरी तो नहीं की है
-16 नवम्बर सन 1846 को जन्मे अकबर इलाहाबादी रूढ़िवादिता एवं धार्मिक ढोंग क...
6 years ago
12 टिप्पणियाँ:
मौहब्बत
लिख के,
चेहरे पर-
मौहब्बत
को ही
पढ़ता हूं
--
क्या कह दिया हुज़ूर.. बहत ही बढ़िया.
ब्लॉग का नया रूप मस्त लग रहा है !!
मनोज जी शुक्रिया...!
बहुत खूब! कमाल की रचना है..
धन्यवाद कैलाश जी
वाह....राजेश जी.......क्या खूब कहा है.......शानदार....लाजवाब
किसी अपने को-
सच्ची बात
कह कर,
जब पराया
कर लिया मैंने,
शब्द-शब्द संवेदनाओं से भरी मार्मिक रचना ....
शुक्रिया...इमरान जी...मेहरबानी..शरद जी...
यूँ ही
बस
बेख्याली में.....
भावपूर्ण रचना ...!
शुक्रिया ...अंजु जी
bahut khoob chadha ji...aaj pahli bar aapke blog par aai hun ..achha lga
स्वागत ... सुमन जी.....
Vah sir hmari bat likh di apne
Post a Comment