-भारतीय साहित्य-जगत् में अमृता प्रीतम की छवि एक ऐसी छवि है जिसने.... जीवन जीने में..... और.... कविता रचने में.... किसी विभाजक सीमा-रेखा को... बीच में नहीं आने दिया.....
-अमृता इतनी पारदर्शी रहीं कि उन्हें पढ़ना... स्वयं अपने को नये सिरे से पहचानना है.....
-जीवन तथा जगत् के प्राण से, मानव-हृदय की धड़कन से साक्षात्कार करना है......
-नारी की शारीरिक....मानसिक....और भावनात्मक संरचना के.....ज्ञान और अनुभव को.....असाधारण परिस्थिति में....तनावों....संघर्षों...तथा प्रेम के सहज आवेगों की आँच को......अमृता ने भोगा है....
-अमृता प्रीतम का कृतित्व इस बात का प्रमाण भी है कि पंजाबी कविता की.... अपनी एक अलग पहचान है.....उसकी अपनी शक्ति है.....अपना सौन्दर्य है.... अपना तेवर है...
-अमृता प्रीतम उसका श्रेष्ठ प्रतिनिधित्व करती हैं------उनकी बेहतरीन कविताओं में से... एक बेहतरीन कविता.....
.......तू नहीं आया........
चैत ने करवट ली
रंगों के मेले के लिए
फूलों ने रेशम बटोरा
-तू नहीं आया
दोपहरें लम्बी हो गयीं,
दाख़ों को लाली छू गयी
दराँती ने गेहूँ की बालियाँ चूम लीं
-तू नहीं आया
बादलों की दुनिया छा गयी,
धरती ने हाथों को बढ़ाया
आसमान की रहमत पी ली
-तू नहीं आया
पेड़ों ने जादू कर दिया,
जंगल से आयी हवा के
होठों में शहद भर गया
-तू नहीं आया
ऋतु ने एक टोना कर दिया,
और चाँद ने आ कर
रात के माथे पर झूमर लटका दिया
-तू नहीं आया
आज तारों ने फिर कहा,
उम्र के महल में अब भी
हुस्न के दीये से जल रहे
-तू नहीं आया
किरणों का झुरमुट कह रहा,
रातों की गहरी नींद से
उजाला अब भी जागता
-तू नहीं आया ।
-अमृता इतनी पारदर्शी रहीं कि उन्हें पढ़ना... स्वयं अपने को नये सिरे से पहचानना है.....
-जीवन तथा जगत् के प्राण से, मानव-हृदय की धड़कन से साक्षात्कार करना है......
-नारी की शारीरिक....मानसिक....और भावनात्मक संरचना के.....ज्ञान और अनुभव को.....असाधारण परिस्थिति में....तनावों....संघर्षों...तथा प्रेम के सहज आवेगों की आँच को......अमृता ने भोगा है....
-अमृता प्रीतम का कृतित्व इस बात का प्रमाण भी है कि पंजाबी कविता की.... अपनी एक अलग पहचान है.....उसकी अपनी शक्ति है.....अपना सौन्दर्य है.... अपना तेवर है...
-अमृता प्रीतम उसका श्रेष्ठ प्रतिनिधित्व करती हैं------उनकी बेहतरीन कविताओं में से... एक बेहतरीन कविता.....
.......तू नहीं आया........
चैत ने करवट ली
रंगों के मेले के लिए
फूलों ने रेशम बटोरा
-तू नहीं आया
दोपहरें लम्बी हो गयीं,
दाख़ों को लाली छू गयी
दराँती ने गेहूँ की बालियाँ चूम लीं
-तू नहीं आया
बादलों की दुनिया छा गयी,
धरती ने हाथों को बढ़ाया
आसमान की रहमत पी ली
-तू नहीं आया
पेड़ों ने जादू कर दिया,
जंगल से आयी हवा के
होठों में शहद भर गया
-तू नहीं आया
ऋतु ने एक टोना कर दिया,
और चाँद ने आ कर
रात के माथे पर झूमर लटका दिया
-तू नहीं आया
आज तारों ने फिर कहा,
उम्र के महल में अब भी
हुस्न के दीये से जल रहे
-तू नहीं आया
किरणों का झुरमुट कह रहा,
रातों की गहरी नींद से
उजाला अब भी जागता
-तू नहीं आया ।
10 टिप्पणियाँ:
आज तारों ने फिर कहा,
उम्र के महल में अब भी
हुस्न के दीये से जल रहे
-तू नहीं आया
यही तो अमृता जी की खूबी थी कि कितनी सरलता से सब कुछ कह जाती थीं जो मन को अन्दर तक भिगो देता है……………आभार इतने सुन्दर बिम्ब प्रयोग वाली कविता पढवाने का।
राजेश जी
नमस्कार !
अमृता जी को पढ़ा अच्छा लगा , साधुवाद
आभार !
itni sundar kavita padhwane ke liye aabhar...
वाह...वाह......राजेश जी आभार आपका इस रचना को पोस्ट करने का......अमृता जी के बारे में क्या कहूँ......एक बेहतरीन फनकार है वो......मेरा सलाम उनको....
कभी कभी जो अभी हमारी सोच में होता है,वो किसी और के द्वारा उसी वक़्त हो जाये...तो एक हैरानी तो होती है...पर साथ ही ईशवर की मोजूदगी का एहसास भी होता है.....
इस पोस्ट को देखकर कुछ ऐसा ही लगा.....अमृता .....अपने आप में एक सुंदर भावपूर्ण कृति ...जो खुद भावमयी है उसकी रचनाये भाव विहीन तो हो ही नही सकती...
.किरणों का झुरमुट कह रहा.
रातो की गहरी नींद से
उजाला अब भी जागता
तू नहीं आया....
तू नहीं आया.......
जैसा वक़्त वैसी कविता.....बहुत ही अच्छा चयन
वन्दना जी...सुनील गज्जाणी जी....स्वाति जी...इमरान अंसारी भाई....अंजु जी...अमृता की कविता पसंद करने का शुक्रिया...ऐसा ही था...रचना भाव-पूर्ण लगी तो शेयर करने की इच्छा हो गई..आप सभी को अच्छा लगा..पुनः धन्यवाद
जिनके पास हुनर होता है उनको ज़माना सलाम करता है
ऐसा ही हुनर है अमृता जी के पास उनको मेरा सलाम ...
और आपको धन्यवाद ... बढ़िया पोस्ट लिखने के लिए ..
स्वागत तरुण जी
अमृता जी की इस कालजयी कृति को यहाँ पोस्ट करने के लिए शुक्रिया.
मनोज
शुक्रिया मनोज जी
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