मैं हूं ! अकबर इलाहबादी
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हंगामा है क्यूँ बरपा, थोड़ी सी जो पी ली है
डाका तो नहीं डाला, चोरी तो नहीं की है
-16 नवम्बर सन 1846 को जन्मे अकबर इलाहाबादी रूढ़िवादिता एवं धार्मिक ढोंग क...
7 years ago
5 टिप्पणियाँ:
गहन चितन से परिपूर्ण बहुत सुन्दर प्रस्तुति..
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति
straight to the heart.. mobile se comment kar raha hun isliye hindi mein nahi ho raha.. pl bear
इन सब के बावजूद /मेरे और बर्फ़ /के भीतर- / नमी रहती है .......
यही नमी बर्फ़ को बर्फ़ और पेड़ को हरा रखती है....
अच्छी कविता है
शुक्रिया......कैलाश जी....संगीता जी....मनोज भाई.....अंजु...आप सभी का धन्यवाद यहां विज़िट की इस हेतु..!
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