-इतिहास-विद "वाकणकर" के अनुसार सरस्वती नदी के तट पर २०० से अधिक नगर बसे थे, जो हड़प्पाकालीन हैं। इस कारण इसे 'सिंधुघाटी की सभ्यता' के स्थान पर 'सरस्वती नदी की सभ्यता' कहना चाहिए।
-इस तस्वीर को देख कर नहीं लगता.........!
"कभी कुछ कह भी देते हैं,
कभी कुछ सुन भी लेते हैं।
ये पत्थर खंडहरों वाले ,
किसी के घर का हिस्सा हैं।".......राजेश चड्ढा
-इस तस्वीर को देख कर नहीं लगता.........!
"कभी कुछ कह भी देते हैं,
कभी कुछ सुन भी लेते हैं।
ये पत्थर खंडहरों वाले ,
किसी के घर का हिस्सा हैं।".......राजेश चड्ढा
7 टिप्पणियाँ:
इस कारण इसे 'सिंधुघाटी की सभ्यता' के स्थान पर 'सरस्वती नदी की सभ्यता' कहना चाहिए।....
भारतीय इतिहास को सम्माननीय इतिहास-विद स्व.वाकणकर की देन निर्विवाद रूप से सर्वमान्य है...मेरे मन में भी उनके अतुलनीय कार्यों के प्रति अपार श्रद्धा है....किन्तु उनके उपरोक्त मत से मैं तथा अनेक इतिहासविद सहमत नहीं हैं।
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कभी कुछ कह भी देते हैं,
कभी कुछ सुन भी लेते हैं।
ये पत्थर खंडहरों वाले ,
किसी के घर का हिस्सा हैं।.....
आपकी ये पंक्तियां बहुत सुन्दर एवं मर्मस्पर्शी हैं....
इस सुन्दर अभिव्यक्ति हैं ...हार्दिक बधाई.
कैलाश जी धन्यवाद...
शरद जी,धन्यवाद, आपने विषय की गंभीरता को समझा । आप जानती हैं, सभ्यता के विकास की कहानी इतिहास के कई विभागों में बंटी है। दर-असल इतिहास के सूक्ष्म अध्ययन और विश्लेषण से मानव के क्रमबद्ध विकास की कहानी सामने आती है। इसी क्रम में कालीबंगा की सभ्यता, इतिहास विदों के लिए खासी महत्वपूर्ण मानी जाती है, जो मानव के आरंभिक रहन-सहन और क्रियाकलापों को अपने गर्भ से मिले अवशेषों से प्रमाणित करती है। सिंधु सरस्वती सभ्यता का समृद्ध केंद्र कालीबंगा हमें लगभग पांच हज़ार वर्ष पीछे ले जाकर विकास की और अग्रसर मानव से मुख़ातिब करवाता है।
मेरे शहर सूरतगढ़ से मात्र 30 किलोमीटर दूर स्थित कालीबंगाकी खोज सन 1953 में पुरातत्व-वेत्ता श्री अमलानंद घोष ने की थी। श्री घोष की इस खोज के पीछे आधार -वेदों में वर्णित सरस्वती और दृषद्वती नदियों का प्रवाह क्षेत्र रहा। सन 61 से श्री बी वी लाल और श्री बी के थापर के निर्देशन में कालीबंगा की खुदाई का कार्य आरंभ हुआ। सन 69 तक चले इस खुदाई के कार्य में सिंधु सरस्वती सभ्यता के अलावा निचले स्तर पर पूर्व सिंधु सरस्वती सभ्यता के अवशेष भी प्राप्त हुए। इन अवशेषों के अतिगहन अध्ययन से मालूम हुआ कि कालीबंगा नगर भारत की कांस्य युगीन सभ्यता का एक अभूतपूर्व उदाहरण है....आपका पुनः धन्यवाद।
आपकी लिखी ये पंक्तियाँ बहुत ही गहरा अर्थ लिए हैं , जो गूढ़ अर्थ निकालती है .... धन्यवाद
hello,photo v lekh dekhakar purani yaad taza ho gayi jab kalibanga m khudayi ho rahi thi tab dekhane ka mouka mila tha .qabar m 7feet ka haddio ka dancha dekha tha.....our bahut kuchh...
blog wastav m kaddi mehanat ka fal hai .poori librery hai .jo sabhi ke liye upyogi hai.eske liye bahut-2sadhuwad rajesh bhai.
तरुण जी, जोगा सिंह जी...शुक्रिया आपका।
ये पत्थर खंडहरों वाले
किसी के घर का हिस्सा है......
सुंदर भाव ....!
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