सोच के कागज़ पर ..... लफ़्ज़ों की शक्ल में .... जब कोई रहता है... तो बहुत ही उम्दा सी कोई कविता कहता है ....... है न ........! जैसे ये कविता... ग़ज़ल तो खूबसूरत थी ही ..... अब तो काव्य रंग भी निखार पर है..... बहुत बहुत बधाई ...!शायर का कवि होना.......बेहतरीन भाव........!
मैं ग़ज़ल कहता हूँ और
गीत गुनगुनाता हूँ
दिल की करता हुआ
दिल ही में उतर जाता हूँ
प्यार बेहद है मुझे
और है गुनाह यही
प्यार करता हुआ मैं
हद से गुज़र जाता हूँ
नाती अभिमन्यु / चार अलग - अलग मुद्राओं में नाती...
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हम सपरिवार बेटी के ससुराल कूदन ( सीकर, राजस्थान.) गए . वहां सबसे मिले..
डेढ़ वर्षीय नाती अभिमन्यु की चंचलता ने मन मोह लिया..
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बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी : दीनदयाल शर्मा
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* बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी : **दीनदयाल शर्मा*
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‘‘या बणजारी जूण’’ का लोकार्पण
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सहज और गंभीर सृजनकर्म कालजयी कृतियों को जन्म देता है
- राकेश शर्मा
कोटा/18 नवम्बर 2013/ सहज और गंभीर सृजनकर्म कालजयी कृतियों को जन्म देता है
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तुम याद बहुत आओगे
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*कौन, कब, कितना याद आता है इसका आज तक तो कोई बेरोमीटर बना नही है। न ही कोई
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अंधविश्वास के खिलाफ एक मुहिम
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*अंधविश्वास के खिलाफ एक मुहिम*
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*अजय कुमार सोनी की राममूर्ती स्वामी के साथ बातचीत*
*परलीका.* इंसान अगर अंधविश्वास का रास्ता छोड़कर ...
परलीका के फोटो- photo gallery
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अब से दो बरस पहले आठ अगस्त 2008 को अचानक ही बरसात ने आकर आधे से ज्यादा गाँव
को तहस-नहस कर दिया. उस वक्त का मंजर देखने लायक था. घरों की छतें ही गिर जाये
तो ...
हम कदम ( हरप्रीत कौर Vs अविनाश )
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ये कैसी लड़की है
सवेर है
मैं तम्हारी तलाश में पड़ी हूँ निकल
शब्द नहीं थे सन्देश
दोपहर है
तुम्हारे घर का दरवाज़ा बंद है
मैं तुम्हे झिर्रियों में से रही हूँ...
13 टिप्पणियाँ:
सूरज भर
छिपते फिरे हो...
अब चांद भर
दिख जाओ...
bhai waah...gazab ke bhaav aur shabd h..
badhai..
सूरज भर
छिपते फिरे हो...
अब चांद भर
दिख जाओ...
मैं तो यहाँ दिख भी गया और यहाँ लिख भी रहा हूँ, सच, ब्लॉग पर यहाँ लिखने का आमंत्रण अच्छा लगा.
आपकी रचनाएँ ब्लॉग पर ज़्यादा भाती हैं. यहाँ नियमित रूप से लिखिए हुज़ूर.
मनोज
इतना आसान भी नहीं भुला पाना.चाहे वो सूरज बन जाए या चंदा हर रूप में आएगा आप की सोचों में.
सुंदर कविता.
शेखावत जी...... ana जी......... Manoj जी........ अनामिका जी.....धन्यवाद आप सभी का
राजेश जी,
हमेशा ही लिखा है......आज भी लिख देते हैं.......बढ़िया रचना|
बहुत ही सुन्दर भावाव्यक्ति।
aapne likha hai bahut khoob.hum to padhte padhte gaye kavita mein doob.
कविता की अनुभूति बड़ी विनम्र है. इसे फेसबुक पर भी देखा था लेकिन हर बार नए अर्थ, नए तरीके से खुलते हैं.
इमरान अंसारी जी .....वन्दना जी.....harishharry jI ....Kishore bhaaI....meharabaanI
खुबसूरत , उम्दा.................... रचना
thanks..Amrita Tanmay
सोच के कागज़ पर .....
लफ़्ज़ों की शक्ल में ....
जब कोई रहता है...
तो बहुत ही उम्दा सी कोई कविता कहता है .......
है न ........! जैसे ये कविता...
ग़ज़ल तो खूबसूरत थी ही .....
अब तो काव्य रंग भी निखार पर है.....
बहुत बहुत बधाई ...!शायर का कवि होना.......बेहतरीन भाव........!
....लफ़्ज़ों की क़द्र करने के लिए धन्यवाद......
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