यूं ही तेरी याद में जिए जा रहा हूं मैं ,
उधड़े हुए से ज़ख़्म सिए जा रहा हूं मैं ।
वक़्त सिर्फ़ वो जो गुज़रा था तेरे साथ ,
हर वक़्त यही बात किए जा रहा हूं मै ।
दिल में तेरी चाहत जैसे मर्ज़ बनी है ,
दवा के नाम दर्द पिए जा रहा हूं मैं ।
ले दे के तेरे नाम के दो हरफ़ बचे हैं ,
सब कुछ इसी लिए किए जा रहा हूं मैं ।
जान तेरे साथ ही दामन छुड़ा चुकी ,
बस ज़िंदगी को नाम दिए जा रहा हूं मैं ।
उधड़े हुए से ज़ख़्म सिए जा रहा हूं मैं ।
वक़्त सिर्फ़ वो जो गुज़रा था तेरे साथ ,
हर वक़्त यही बात किए जा रहा हूं मै ।
दिल में तेरी चाहत जैसे मर्ज़ बनी है ,
दवा के नाम दर्द पिए जा रहा हूं मैं ।
ले दे के तेरे नाम के दो हरफ़ बचे हैं ,
सब कुछ इसी लिए किए जा रहा हूं मैं ।
जान तेरे साथ ही दामन छुड़ा चुकी ,
बस ज़िंदगी को नाम दिए जा रहा हूं मैं ।
13 टिप्पणियाँ:
बस ज़िंदगी को नाम दिए जा रहा हूं मैं ।
क्या खूब. राजेशजी, कभी कभी ऐसा कुछ पढकर पुरानी याद ताज़ा हो जाती है.
आप की रचना 10 सितम्बर, शुक्रवार के चर्चा मंच के लिए ली जा रही है, कृप्या नीचे दिए लिंक पर आ कर अपनी टिप्पणियाँ और सुझाव देकर हमें अनुगृहीत करें.
http://charchamanch.blogspot.com
आभार
अनामिका
प्रिय बंधु राजेश जी
ग़ज़ल तो शानदार लगाई है …
गा'कर क्यों नहीं लगाई ?
आपके निराले अंदाज़ में सुनने का अवसर तो दिया होता …
ले दे के तेरे नाम के दो हरफ़ बचे हैं ,
सब कुछ इसी लिए किए जा रहा हूं मैं ।
वाह वाह वाऽऽह
- राजेन्द्र स्वर्णकार
ले दे के तेरे नाम के... खूबसूरत.
सबसे पहले तो राजेश साहब आपसे एक शिकायत है ...........आपके ब्लॉग पर ये पोस्ट बहुत दिनों बाद आई है ........इतना लम्बा अरसा ...........अब बात आपकी ग़ज़ल की ...तो सिर्फ एक लफ्ज़ ........सुभानाल्लाह .......हर शेर बेहतरीन |
कभी फुर्सत में हमारे ब्लॉग पर भी आयिए-
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एक गुज़ारिश है ...... अगर आपको कोई ब्लॉग पसंद आया हो तो कृपया उसे फॉलो करके उत्साह बढ़ाये|
वक़्त सिर्फ़ वो जो गुज़रा था तेरे साथ ,
हर वक़्त यही बात किए जा रहा हूं मै ।
बहुत खूबसूरत गज़ल ..
खूबसूरत गज़ल ..वाह वाह वाऽऽह
बहुत सुंदर ग़ज़ल है...बधाई.
राजेश जी , क्या कहूँ ? बस बेहतरीन गजल ......
जान तेरे साथ ही दामन छुड़ा चुकी ,
बस ज़िंदगी को नाम दिए जा रहा हूं मैं !!
वाह...वाह...वाह...
लाजवाब ग़ज़ल है...हर शेर बरबस ही मुंह से वाह निकलवा गयी...
बहुत आनंद आया पढ़कर....
ऐसे ही लिखते रहें...शुभकामनाएं..
JABARMAST...
"ले दे के तेरे नाम के दो हर्फ बचे है
सब कुछ इसी लिए किये जा रहा हूँ मैं ....."
बहुत खूब ....!कई दिन से ब्लॉग नहीं देखा था .आज कुछ नही बहुत कुछ नया पढने को मिला
इतने दिन दूर रहने की खुद से शिकायत हुई
लेकिन जो सुकून मिला वो कुछ कम नही है....
बस इतना ही कह सकती हूँ...एक अहसास है ये रूह से मह्सूस करो
इसके लिए शब्द नहीं हैं मेरे पास......थैंक्स
आने का...पढ़ने का........ शुक्रिया अंजु...फिर आना
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