-साहिर लुधियानवी का जन्म 8 मार्च 1921 में हुआ ।
-1943 में 'तल्खियाँ' के प्रकाशन के बाद से ही उन्हें ख्याति प्राप्त होने लगी थी । सन् 1945 में वे प्रसिद्ध उर्दू पत्र अदब-ए-लतीफ़ और शाहकार (लाहौर) के सम्पादक रहे। बाद में वे द्वैमासिक पत्रिका सवेरा के भी सम्पादक रहे। सन् 1949 में वे दिल्ली आ गये। कुछ दिनों दिल्ली में रहकर वे मुंबई आ गये जहाँ पर व उर्दू पत्रिका शाहराह और प्रीतलड़ी के सम्पादक रहे।
-फिल्म आजादी की राह पर (1949) के लिये उन्होंने पहली बार गीत लिखे किन्तु प्रसिद्धि उन्हें फिल्म नौजवान के लिये लिखे गीतों से मिली। फिल्म नौजवान का गाना ठंडी हवायें लहरा के आयें ..... बहुत लोकप्रिय हुआ । बाद में साहिर लुधियानवी ने बाजी, प्यासा, फिर सुबह होगी, कभी कभी जैसे लोकप्रिय फिल्मों के लिये गीत लिखे ।
-59 वर्ष की अवस्था में 25 अक्टूबर 1980 को दिल का दौरा पड़ने से साहिर लुधियानवी का निधन हो गया।
साहिर की स्मृति में-उन्हीं की ये नज़्म-
ऎ शरीफ़ इन्सानो ! / साहिर लुधियानवी
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ऐ शरीफ इंसानों
खून आपना हो या पराया हो,
नसल-ऐ-आदम का खून है आख़िर,
जंग मशरिक में हो या मगरिब में ,
अमन-ऐ-आलम का खून है आख़िर !
बम घरों पर गिरे की सरहद पर ,
रूह-ऐ-तामीर जख्म खाती है !
खेत अपने जले की औरों के ,
ज़ीस्त फ़ाकोंसे तिलमिलाती है !
टैंक आगे बढे की पीछे हटे,
कोख धरती की बांझ होती है !
फतह का जश्न हो की हार का सोग,
जिंदगी मय्यतों पे रोंती है !
जंग तो खुद ही एक मसलआ है
जंग क्या मसलों का हल देगी ?
आग और खून आज बख्शेगी
भूख और एहतयाज कल देगी !
इसलिए ऐ शरीफ इंसानों ,
जंग टलती है तो बेहतर है !
आप और हम सभी के आँगन में ,
शमा जलती रहे तो बेहतर है !
6 टिप्पणियाँ:
साहिर लुधियानवी का याद को नमन.....
बहुत ही सुन्दर और सारगर्भित पोस्ट.
साहिर साहब से कौन वाकिफ नहीं......उनका कलाम सीधे दिल में उतरता है......आपका आभार उनकी नज़्म साझा करने के लिए|
sahir ko padhna hamesha khakjhorta hai
Sharad Singh ji....इमरान भाई...प्रिया जी...... शुक्रिया...
sahir pr baat,nzm ke saath ...achhi post.
आपको पसंद आई...अंजू जी...शुक्रिया
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