-इस संसार को देखने के दो नज़रिये हो सकते हैं.
-एक तो यह.... कि दुनिया अपने आप बनी है,अपने ही ज़ोर से चल भी रही है.इसलिए सुख के अधिकाधिक सामान को पैदा किया जाए.
-दूसरा नज़रिया यह.... कि संसार संघर्ष और दुखों का घर है.इस जगत से सच्चे,स्थायी और पूर्ण सुख की आशा रखना भ्रम से अधिक कुछ नहीं.
-प्रश्न यह है कि... फिर सुख की तलाश कहां की जाये...?
-इस पर तुलसी कहते हैं...
" कोई तो तन मन दुखी,कोई चित उदास
एक-एक दुख सभन को,सुखी संत का दास "
-नानक कह्ते हैं...
" नानक दुखिया सब संसार "
-कबीर साहब का मानना है...
" तन धर सुखिया कोई ना देखा,
जो देखा सो दुखिया हो "
-वहीं सुफ़ी संत बाबा फ़रीद कहते हैं...
" फ़रीदा मैं जाणेया दुख मुझ को,
दुख सबाइऎ जग्ग,
ऊंचे चढ़ के देख्या,
तां घर-घर एहा अग्ग "
-यहीं.... ’सम-भाव’ सब से उचित लगने लगता है.
-एक तो यह.... कि दुनिया अपने आप बनी है,अपने ही ज़ोर से चल भी रही है.इसलिए सुख के अधिकाधिक सामान को पैदा किया जाए.
-दूसरा नज़रिया यह.... कि संसार संघर्ष और दुखों का घर है.इस जगत से सच्चे,स्थायी और पूर्ण सुख की आशा रखना भ्रम से अधिक कुछ नहीं.
-प्रश्न यह है कि... फिर सुख की तलाश कहां की जाये...?
-इस पर तुलसी कहते हैं...
" कोई तो तन मन दुखी,कोई चित उदास
एक-एक दुख सभन को,सुखी संत का दास "
-नानक कह्ते हैं...
" नानक दुखिया सब संसार "
-कबीर साहब का मानना है...
" तन धर सुखिया कोई ना देखा,
जो देखा सो दुखिया हो "
-वहीं सुफ़ी संत बाबा फ़रीद कहते हैं...
" फ़रीदा मैं जाणेया दुख मुझ को,
दुख सबाइऎ जग्ग,
ऊंचे चढ़ के देख्या,
तां घर-घर एहा अग्ग "
-यहीं.... ’सम-भाव’ सब से उचित लगने लगता है.
10 टिप्पणियाँ:
इस पवित्र भाव को हम तक पहुंचाने का आभार।
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हंसी का विज्ञान।
ज्योतिष,अंकविद्या,हस्तरेख,टोना-टोटका।
ज़ाकिर भाई धन्यवाद
राजेश जी,
कुछ अलग पढ़ कर अच्छा लगा.....खलील जिब्रान के शब्दों में ' तुम्हारे दुःख के काफी अंश को तुम खुद चुनते हो....जो आज तुम्हे सुख मालूम होता है वही कल तुम्हे दुःख देगा|
कभी फुर्सत मिले तो हमारे ब्लॉग पर भी आयिए -
http://jazbaattheemotions.blogspot.com/
http://mirzagalibatribute.blogspot.com/
http://khaleelzibran.blogspot.com/
http://qalamkasipahi.blogspot.com/
बहुत बढ़िया. इसे पढ़ कर मन अच्छा हुआ.
जीवन का सम्पूर्ण दर्शन .. खूब राजेश जी.. अच्छा लगा पढ़कर.
इमरान भाई ये फ़लसफ़ा जीना सिखा देता है...ऐसा लगता है....बहरहाल...शुक्रिया आपका.....
किशोर जी.....मन हुआ.....तो बात कह दी....आपको पसंद आई....अच्छा लगा..धन्यवाद.....
मनोज जी....बात एक ही होती है....कहने का तरीका अलग-अलग होता है बस....शुक्रिया आपका....
न दुःख आता है ,न सुख जाता है
जैसे शरीर और आत्मा
जैसे अपना पराया
जैसे मोह और लगन.......
मोह मेरा... तो लगन पराई...
दुःख खंगालता है जीवन सागर को ..
तो सुख नदी सा बहता है ......
बाकी सब दृष्टि का खेल है...
जानने और मानने का भेद है.......
खैर क्षमा चाहती हूँ अपने विचार आपके ब्लॉग पर लिखने के लिए.....
जीवन जीवन है बाकी तो नजरिया है देखने का...
"मेरा " ही दुःख का कारन है
कहा मानने के लिए शुक्रिया
न दुःख आता है ,न सुख जाता है
जैसे शरीर और आत्मा
जैसे अपना पराया
जैसे मोह और लगन.......
मोह मेरा... तो लगन पराई...
दुःख खंगालता है जीवन सागर को ..
तो सुख नदी सा बहता है ......
बाकी सब दृष्टि का खेल है...
जानने और मानने का भेद है.......
खैर क्षमा चाहती हूँ अपने विचार आपके ब्लॉग पर लिखने के लिए.....
जीवन जीवन है बाकी तो नजरिया है देखने का...
"मेरा " ही दुःख का कारन है
कहा मानने के लिए शुक्रिया
अंजू मैं दुःख तक पहुंचा....आप...उसके कारंण तक....बस यही भेद है...शुक्रिया
Nice Post :) New Artical :- How To Show Yahoo Smiley's In Blogger Threaded Comments
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