गिरा कर आँख से अपनी घर से कर दिया बेघर, मुझे रुखसार पर रखते तुम्ही में जज़्ब हो जाता ....वाह !!!बहुत खूब ... एक नज़रिया ये भी है ............ "घर से बेघर होने में घर के मायने तो मिले कुछ ऐसे भी थे जिन्हें घर ही नहीं मिले" अच्छा है उम्दा है ,बाकी तो रचना का, बहुत कुछ होना है........
गिरा कर आँख से अपनी घर से कर दिया बेघर,
ReplyDeleteमुझे रुखसार पर रखते तुम्ही में जज़्ब हो जाता ....वाह !!!बहुत खूब ...
एक नज़रिया ये भी है ............
"घर से बेघर होने में घर के मायने तो मिले
कुछ ऐसे भी थे जिन्हें घर ही नहीं मिले"
अच्छा है उम्दा है ,बाकी तो रचना का, बहुत कुछ होना है........
सुभानाल्लाह ........वाह........वाह
ReplyDeleteलाजवाब शेर .....
ReplyDeleteati sundar
ReplyDeleteKAHA SE ?
ReplyDeleteLATE HO ??
ESE JAZBAT !
JO
YATHARTH BHI HAI!
AUR
KALPANA BHI!!
Lajwab...sher.Lajwab...sher.
ReplyDeleteAnju-इमरान अंसारी-Dr (Miss) Sharad Singh-Ramesh jangir रमेश जांगिड-Ashok Kumar-Harish Harry आप सभी का शुक्रिया
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