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रचना-बहुत कुछ होना है/राजेश चड्ढ़ा
रचा जाता है
बहुत कुछ-
कला और
भाव-पक्ष की,
सीमाओं के बाहर भी,
भाव-पूर्ण।
रचा जाता है
बहुत कुछ-
सार्थक ध्वनि समूह
के बिना भी,
मर्मस्पर्शी।
रचा जाता है
बहुत कुछ-
शब्दार्थ योजना
के बगैर भी,
प्रवाहशील।
रचना-
बहुत कुछ
होना है।
बहुत सुन्दर भावो से परिपूर्ण रचना|
ReplyDeleteरचना बहुत कुछ होना है ..सटीक बात ..
ReplyDeletebikul sahi kha rachna apne aapme bahut kuchh sanjoye hoti hai...
ReplyDeleteभाव-पूर्ण ,मर्मस्पर्शी ,प्रवाहशील ,और भी
ReplyDeleteबहुत कुछ.........होना है ,रचना....
बहुत सुन्दर ......
bahut khoob.thode shadon me gahari baat.
ReplyDeleteइमरान अंसारी-संगीता स्वरुप ( गीत )-सुमन'मीत'-Anju- Ramesh jangir रमेश जांगिड ... मेहरबानी आप सभी की।
ReplyDeleteवृहद् परिदृश्य है रचना का!
ReplyDeleteसुन्दर!