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Friday, July 08, 2011

रचना-बहुत कुछ होना है/राजेश चड्ढ़ा


रचा जाता है

बहुत कुछ-

कला और

भाव-पक्ष की,

सीमाओं के बाहर भी,

भाव-पूर्ण।



रचा जाता है

बहुत कुछ-

सार्थक ध्वनि समूह

के बिना भी,

मर्मस्पर्शी।



रचा जाता है

बहुत कुछ-

शब्दार्थ योजना

के बगैर भी,

प्रवाहशील।



रचना-

बहुत कुछ

होना है।

7 comments:

  1. AnonymousJuly 08, 2011

    बहुत सुन्दर भावो से परिपूर्ण रचना|

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  2. रचना बहुत कुछ होना है ..सटीक बात ..

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  3. bikul sahi kha rachna apne aapme bahut kuchh sanjoye hoti hai...

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  4. भाव-पूर्ण ,मर्मस्पर्शी ,प्रवाहशील ,और भी
    बहुत कुछ.........होना है ,रचना....
    बहुत सुन्दर ......

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  5. इमरान अंसारी-संगीता स्वरुप ( गीत )-सुमन'मीत'-Anju- Ramesh jangir रमेश जांगिड ... मेहरबानी आप सभी की।

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  6. वृहद् परिदृश्य है रचना का!
    सुन्दर!

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