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Tuesday, May 18, 2010

फिर उनको देखा तो

फिर उनको देखा तो आंखें भरी हैं,
अभी तो पुरानी ही चोटें हरी हैं।

हमसे लफ्जों का बयान मुश्किल,
तेरा लब हिलाना ही शायरी है।

उसने कहा था कि बातें खत्म हैं,
जला दो ये जितनी किताबें धरी हैं।

किस्सा नहीं है ये इल्म-ओ-अदब,
कभी तुमने अपनी हकीकत पढ़ी है।

6 comments:

  1. हमसे लफ्जों का बयान मुश्किल,
    तेरा लब हिलाना ही शायरी है।

    राजेशजी; आप तो छा गए इस शेर से. बहुत अच्छा लगा आपके ब्लॉग पर आकर. ढेर सारी शुभ-कामनाएं.
    www.nareshnashaad.blogspot.com

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  2. फिर उनको देखा तो आंखें भरी हैं,
    अभी तो पुरानी ही चोटें हरी हैं।
    सुंदर अभिव्यक्ति ...
    चिट्ठाजगत में आपका स्वागत है। हिंदी ब्लागिंग को आप और ऊंचाई तक पहुंचाएं, यही कामना है।
    http://gharkibaaten.blogspot.com

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  3. हिंदी ब्लाग लेखन के लिए स्वागत और बधाई
    कृपया अन्य ब्लॉगों को भी पढें और अपनी बहुमूल्य टिप्पणियां देनें का कष्ट करें

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  4. " बाज़ार के बिस्तर पर स्खलित ज्ञान कभी क्रांति का जनक नहीं हो सकता "

    हिंदी चिट्ठाकारी की सरस और रहस्यमई दुनिया में राज-समाज और जन की आवाज "जनोक्ति.कॉम "आपके इस सुन्दर चिट्ठे का स्वागत करता है . चिट्ठे की सार्थकता को बनाये रखें . अपने राजनैतिक , सामाजिक , आर्थिक , सांस्कृतिक और मीडिया से जुडे आलेख , कविता , कहानियां , व्यंग आदि जनोक्ति पर पोस्ट करने के लिए नीचे दिए गये लिंक पर जाकर रजिस्टर करें . http://www.janokti.com/wp-login.php?action=register,
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  5. तेरा लब हिलाना ही शायरी है

    वाह क्या मिसरा है राजेश जी कमाल...बधाई
    नीरज

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  6. usne kha tha baate khatam h
    jla do ye jitni kitabe dhari hai......
    bhut achha kha hai.......

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