बुल्लेशाह सी यारी रखता हूं,
नानक खुमारी रखता हूं।
मीरा के तन मन कृष्ण मैं,
सूरत तुम्हारी रखता हूं।
अपना फरीदी भेस है,
दरवेश-दारी रखता हूं।
चादर कबीरी जस की तस,
खातिर तुम्हारी रखता हूं।
ईसा सी माफी दे सकूं,
कोशिश ये जारी रखता हूं।
नानक खुमारी रखता हूं।
मीरा के तन मन कृष्ण मैं,
सूरत तुम्हारी रखता हूं।
अपना फरीदी भेस है,
दरवेश-दारी रखता हूं।
चादर कबीरी जस की तस,
खातिर तुम्हारी रखता हूं।
ईसा सी माफी दे सकूं,
कोशिश ये जारी रखता हूं।
बेहतरीन ग़ज़ल..ढेरों दाद कबूल करें
ReplyDeleteनीरज
BULLEH SHAH RAB UNHA NU MILDA;
ReplyDeleteNEEYTA JINHA DIY SACHHIYA !
HEARTLY ADMIRABLE PURE SOOFI ANDAAZ.