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Sunday, October 23, 2011

बस यूं ही


हर मुलाक़ात को चेहरे पे उतर आने दे ,

रिश्ता रस्मों - रिवाज़ों से नहीं चलता ।

ना इशारा कर ना ही कोई आवाज़ लगा ,

मैं इशारों या आवाज़ों से नहीं चलता ।

---------राजेश चड्ढ़ा

7 comments:

  1. सुभानाल्लाह.......दिल को छू गया ये शेर |

    आपको और आपके प्रियजनों को दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें|

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  2. शुक्रिया इमरान भाई.....आपको भी मुबारक़

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  3. दिल की आवाज़ भी सुन ;

    मेरे फ़साने पे न जा !

    मेरी नज़रों की तरफ देख;

    ज़माने पे न जा !!

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  4. रिश्ता रस्मों - रिवाज़ों से नहीं चलता ।
    सुन्दर सच्ची बात!

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  5. एक अलग तरह की प्रस्तुति

    दिवाली-भाई दूज और नववर्ष की शुभकामनाएं

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  6. Har Mulakat Ko Chehre Pe Utar Aane De..Rishta Rasmo Rivajon Se Nahi Chalta...Aanand Aa Gya.

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  7. Ashok Kumar ji-अनुपमा पाठक ji-Navin C. Chaturvedi ji-Harish Harry bhai.....शुक्रिया...आप सभी का

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