मौहब्बतलिख के,चेहरे पर-मौहब्बतको हीपढ़ता हूं--क्या कह दिया हुज़ूर.. बहत ही बढ़िया.ब्लॉग का नया रूप मस्त लग रहा है !!
मनोज जी शुक्रिया...!
बहुत खूब! कमाल की रचना है..
धन्यवाद कैलाश जी
वाह....राजेश जी.......क्या खूब कहा है.......शानदार....लाजवाब किसी अपने को-सच्ची बातकह कर,जब परायाकर लिया मैंने,
शब्द-शब्द संवेदनाओं से भरी मार्मिक रचना ....
शुक्रिया...इमरान जी...मेहरबानी..शरद जी...
यूँ हीबस बेख्याली में..... भावपूर्ण रचना ...!
शुक्रिया ...अंजु जी
bahut khoob chadha ji...aaj pahli bar aapke blog par aai hun ..achha lga
स्वागत ... सुमन जी.....
Vah sir hmari bat likh di apne
मौहब्बत
ReplyDeleteलिख के,
चेहरे पर-
मौहब्बत
को ही
पढ़ता हूं
--
क्या कह दिया हुज़ूर.. बहत ही बढ़िया.
ब्लॉग का नया रूप मस्त लग रहा है !!
मनोज जी शुक्रिया...!
ReplyDeleteबहुत खूब! कमाल की रचना है..
ReplyDeleteधन्यवाद कैलाश जी
ReplyDeleteवाह....राजेश जी.......क्या खूब कहा है.......शानदार....लाजवाब
ReplyDeleteकिसी अपने को-
सच्ची बात
कह कर,
जब पराया
कर लिया मैंने,
शब्द-शब्द संवेदनाओं से भरी मार्मिक रचना ....
ReplyDeleteशुक्रिया...इमरान जी...मेहरबानी..शरद जी...
ReplyDeleteयूँ ही
ReplyDeleteबस
बेख्याली में.....
भावपूर्ण रचना ...!
शुक्रिया ...अंजु जी
ReplyDeletebahut khoob chadha ji...aaj pahli bar aapke blog par aai hun ..achha lga
ReplyDeleteस्वागत ... सुमन जी.....
ReplyDeleteVah sir hmari bat likh di apne
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