सुंदर कविता। बधाई।।
sachche dil se mastan bole ,.....shaandar kavita
भाई राजेश जी चड्ढ़ा,सत्-श्री-अकाल!आपके ब्लाग पर भ्रमण कर आनंद आया।आपकी ग़ज़लेँ पढ़ कर यह आनंद सौ गुणा हो गया!हम तो वैसे भी आपकी ग़ज़लोँ के दीवाने हैँ।अब हम क्या कहें! यही कहेँगे-हम से दिल मिला हाथ नहीँ।दिल ही चाहिए साथ नहीँ॥
सटीक
जिस का पलडा देखें भारी,ऐन वक्त पर उस के हो लेंसच कहा...आजकल भलाई इसी में है...नीरज
तुम भी सच जब ताक पे रखो,हम भी झूठ कहां तक बोलेंबेहतरीन-सुंदर कविता।
बहुत खूब लिखते हैं आप हम तो आपके फैन हो गए हैं |
जिसका पलडा देखें भारी,ऐन वक्त पर उस के हो लें...वाह.......राजेश जी .....शे'र बहुत ही......बढ़िया...बेहतरीन ग़ज़ल.....बधाई......
आपको पढ़ कर अच्छा लगा ......बधाई !
सुंदर कविता। बधाई।।
ReplyDeletesachche dil se mastan bole ,.....shaandar kavita
ReplyDeleteभाई राजेश जी चड्ढ़ा,
ReplyDeleteसत्-श्री-अकाल!
आपके ब्लाग पर भ्रमण कर आनंद आया।आपकी ग़ज़लेँ पढ़ कर यह आनंद सौ गुणा हो गया!
हम तो वैसे भी आपकी ग़ज़लोँ के दीवाने हैँ।अब हम क्या कहें! यही कहेँगे-
हम से दिल मिला हाथ नहीँ।
दिल ही चाहिए साथ नहीँ॥
सटीक
ReplyDeleteजिस का पलडा देखें भारी,
ReplyDeleteऐन वक्त पर उस के हो लें
सच कहा...आजकल भलाई इसी में है...
नीरज
तुम भी सच जब ताक पे रखो,
ReplyDeleteहम भी झूठ कहां तक बोलें
बेहतरीन-सुंदर कविता।
बहुत खूब लिखते हैं आप हम तो आपके फैन हो गए हैं |
ReplyDeleteजिसका पलडा देखें भारी,
ReplyDeleteऐन वक्त पर उस के हो लें...
वाह.......राजेश जी .....शे'र बहुत ही......बढ़िया...बेहतरीन ग़ज़ल.....बधाई......
आपको पढ़ कर अच्छा लगा ......बधाई !
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